ओ हिंद वीर के उच्च भाल,किन्नरियों के पावन, सुदेश |
तेरी महिमा का अमित गान ,कर सकते क्या सारद गणेश ||१||
सौन्दर्य सलिल सरवर है तू ,नर नलिन जहाँ सर्वत्र खिले |
मधुकरी किन्नरी वार चुकी , मधु -रस लेकर मन मुक्त भले ||२||
पर्वत पयस्विनी पादप गन , पुष्पावली पावन विविध रंग |
आभूषित कलित मृदुल मधु मय , प्रकृति वनिता के विविध रंग ||३||
केसर कल कंज विहारिण हो , वर प्रकृति पद्मनी वाम बनी |
नर की क्या गणना है जिस पर , मोहित होते सुर यक्ष मुनि ||४||
तेरी कल कंज कली केसर , बादाम दाम सी फुलवारी |
फल फुल्ल -फुल मधुमय मेवा , निर्झर प्रपात हिममय वारी ||५||
भारत माता का तू ललाट , पृथ्वी का नंदन सा कानन |
अथवा तू भारत भामिनी का , मंजुल मयंक सा है आनन ||६||
कुछ तीव्र त्वरित गति से बहती , इठलाती सी इतराती सी |
नव वधु वितस्ता तव हिय पर , कल कलिका सी कलपाती सी ||७||
उसमें कंजादिक विविध पुष्प , मानो बहु दीप सुहाते हैं |
अपने प्रियतम की आरती को , आरत हर वारे जाते हैं ||८||
तरनी तटनी शीतल जल में , जब खोल पाल को बहती है |
मनो अलका नगरी नभ में , पर खोल परी बहु उडती हैं ||९||
त्वरिता गति से वे आ जा कर , इतराना अमित दिखाती हैं |
लहरों से लह कर सलिल घाट , अनुपम नव नृत्य दिखाती हैं ||१०||
'कश्मीर के प्रति' एक खंड काव्य के रूप में निबद्ध किया गया है | इस काव्य में पांच सर्गों में कश्मीर के सम्बन्ध में अपनी भावना व्यक्त की गयी है | जिसमे कश्मीर गौरव, १९४८-४९ का पाक-युद्ध , १९६५ का भारत-पाक रण, बंगलादेश का अनाचार एवं सन ७१ का पाक आक्रमण एवं भारत विजय का उल्लेख किया गया है |
जवाब देंहटाएंयह पुस्तक १९७२ में "गोपाल साहित्य सदन" द्वारा प्रकाशित की गयी थी | यहाँ इस पुस्तक के कुछ अंश पेश किये गए हैं | संपूर्ण पुस्तक इ-बुक के रूप में तैयार की जा रही है |